टीचर्स डे: पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
Teachers Day : PM Modi Speech to Children
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मोदी सर की क्लास' से पहले क्या बोले बच्चे ?
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने टीचर्स डे के मौके पर आज देशभर के स्कूली बच्चों को
संबोधित किया. पीएम का यह भाषण करीब 18 लाख स्कूलों में लाइव दिखाया गया.
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब शिक्षक दिवस के मौके पर
प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को संबोधित किया.
अपने भाषण की
शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा कि बच्चों के बीच भाषण सौभाग्य की बात है.
शिक्षक के महत्व को समझे बिना बदलाव संभव नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि
आखिर क्या वजह है कि अधिकतर लोग टीचर नहीं बनना चाहते?
इस अवसर पर लाखों विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि...
* स्कूलों में रोजगार परक शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
हमारे
पास डिग्री के साथ हुनर भी होना चाहिए। बच्चों को भी स्किल डेवलपमेंट का
अवसर मिलना चाहिए। स्किल डेवलपमेंट किसी भी देश और व्यक्ति के लिए बहुत
जरूरी है। जहां भी जिस तरह का काम है, वहां के युवकों को उसी तरह का
प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपने गांव के निकट ही काम मिल
जाएगा। ऐसा होगा तो रोजगार बढ़ेंगे और देश का आर्थिक विकास भी होगा। हम ने
स्किल डेवलपमेंट के लिए अलग से मंत्रालय बनाया है।
* आपकी हमसे क्या अपेक्षाएं हैं और हम आपके लिए क्या कर सकते हैं?
मोदी
ने कहा कि पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट है। बच्चे बिजली बचाने का काम कर
सकते हैं। क्लास खत्म होने के बाद हम ध्यान रखें कि बिजली बंद हुई है या
नहीं। हम बंद करें। हम छोटी छोटी चीजें समझकर पानी और बिजली बचा सकते हैं।
सब मिलकर हम थोड़ा थोड़ा करेंगे तो बूंद बूंद से सागर भर जाएगा।
* लड़कियों की शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
हम
चाहते हैं कि बालिकाओं के लिए निकटतम स्कूल मिले और उन्हें स्तरीय शिक्षा
मिले। हम इसके लिए तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं।
* काम का दबाव कैसे नियंत्रित करते हैं?
मोदी
ने कहा कि राजनीति को प्रोफेशन नहीं मानना चाहिए। इसे एक सेवा के रूप में
स्वीकार करना चाहिए। सेवा का भाव तब जगता है, तब अपनापन होता है। अपनापन
नहीं होता तो सेवा का भाव नहीं जग सकता। 125 करोड़ देशवासी मेरा परिवार
हैं। इनके लिए काम करते हुए मुझे कभी थकान महसूस नहीं होता। मुझे और ज्यादा
काम करने के लिए प्रेरणा मिलती है। अपनापन लंबे समय तक चलता है। पद तो आते
जाते रहते हैं।
* मुख्यमंत्री रहते हुए आपने 'गुजरात पढ़ो' अभियान शुरू किया था, क्या राष्ट्रीय स्तर पर भी आपकी कोई योजना है?
इस
सवाल पर मोदी ने कहा कि ऐसा कोई कार्यक्रम तो नहीं, लेकिन मैंने डिजिटल
इंडिया का काम शुरू किया है। मैं चाहता लोग तकनीक और विज्ञान से जुड़ें।
मैं डिजिटल इंडिया का सपना लेकर चल रहा हूं। हर भाषा में डिजिटल इंडिया का
सपना पूरा होना चाहिए। व्यक्ति को पढ़ने की आदत होती चाहिए। मेरी अब किताब
पढ़ने की आदत छूट गई है, अब मैं फाइलें पढ़ता हूं।
* पर्यावरण की रक्षा कैसे करें?
इस
सवाल के जवाब में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम बदल गए हैं, हमारी आदतें बदल
गई हैं। हमने पूरे पर्यावरण का नुकसान किया है। हम बदल जाएं तो संतुलन
तुरंत हो जाता है। मनुष्य को प्रकृति से प्रेम करना चाहिए। उससे संघर्ष
नहीं करना चाहिए। हमारे शास्त्रों में तो पौधे को परमात्मा और नदी को माता
कहा गया। जब से यह सब भूल गए हैं तो गंगा भी मैली हो गई है। हम पूरे
ब्रह्मांड को अपना परिवार मानते हैं। हमें सिखाया जाता है कि हम सुबह उठते
हैं पृथ्वी पर पांव रखते हैं तो हमें भारत के लिए उससे माफी मांगना सिखाया
जाता है। हम प्रकृति के साथ जीना भूल गए हैं। हमें यह फिर से सीखना पड़ेगा।
* बच्चे देश की सेवा कैसे कर सकते हैं?
नरेन्द्र
मोदी ने एक छात्रा के सवाल के जवाब में कहा कि अच्छे विद्यार्थी बनें। यह
भी अपने आप में देश की सेवा ही है। बच्चे साफ सफाई का ध्यान रखें। बच्चे घर
में बिजली बचाने का काम करें। यह भी बहुत बड़ी देश सेवा है। बिजली बचाकर
आप पर्यावरण की रक्षा कर सकता है। देश सेवा के लिए बहुत चीजें करने की
जरूरत नहीं, छोटी छोटी बातों से भी हम देश की सेवा कर सकते हैं।
* यदि आप शिक्षक होते तो आप कैसे बच्चे पसंद करते?
मोदी
ने कहा कि शिक्षकों का काम होता है विद्यार्थी गुणों को समझें और विकसित
करे। शिक्षक के लिए सभी बच्चे अपने होते हैं। उसे सबके साथ समान व्यवहार
करना चाहिए। मैं भी यदि शिक्षक होता तो सबके साथ समान व्यवहार करता।
*
हमारे इलाके में उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी हैं। इसके लिए आप क्या
प्रयास करेंगे। (छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से एक छात्रा का सवाल है)
छत्तीसगढ़
में रमणसिंहजी ने जो काम किए हैं, मुझे विश्वास है शिक्षाविदों का ध्यान
इस ओर जाएगा। उन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि यदि एक बालिका
पढ़ती है तो दो परिवार पढ़ते हैं। मेरा भी इस बात पर जोर है कि बालिका
शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। बेटियों के लिए अलग टॉयलेट नहीं होने के
कारण लड़कियां जल्दी स्कूल छोड़ देती हैं। यदि इस पर पहले ध्यान दिया जाता
तो स्थितियां कुछ और होतीं। मैं इस बात पर विशेष तौर पर ध्यान दे रहा हूं।
लड़कियां स्कूल छोड़ें नहीं इस पर मेरा विशेष ध्यान है। शिक्षा को लेकर
बालिका के मन में इस तरह का सवाल है तो यह बड़ी बात है। इस सवाल में देश को
जगाने की ताकत है।
* क्या आपको स्कूल के दिनों की कुछ शरारतें याद हैं? (लेह की एक छात्रा का सवाल)
मोदी
ने कहा कि कोई बालक ऐसा नहीं होता जो शरारत नहीं करता हो। मुझे इस बात की
चिंता है कि बचपन बहुत जल्दी मर रहा है। बचपन में शरारतें होनी चाहिए। जीवन
में विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।
मोदी ने अपनी शरारत
का उल्लेख करते हुए कहा कि हम जब छोटे थे तो शादी के समय शहनाई वादक को
इमली दिखाते थे, जिससे वह बजा नहीं पाता था। वह हमें मारने के लिए दौड़ता
था।
अपनी एक और शरारत का उल्लेख करते हुए कहा कि हम शादी
के समारोह में जाते थे हम वहां स्वागत में खड़े महिला पुरुषों के कपड़ों
में स्टेपलर लगा दिया करते थे।
* यदि आप शिक्षक होते तो आप कैसे बच्चे पसंद करते?
मोदी
ने कहा कि शिक्षकों का काम होता है विद्यार्थी गुणों को समझें और विकसित
करे। शिक्षक के लिए सभी बच्चे अपने होते हैं। उसे सबके साथ समान व्यवहार
करना चाहिए। मैं भी यदि शिक्षक होता तो सबके साथ समान व्यवहार करता।
* जापान और भारत की शिक्षा में आप क्या अंतर महसूस करते हैं?
इस
सवाल के जवाब में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जापान में टीचिंग नहीं के बराबर
है, लेकिन 100 फीसदी लर्निंग है। वहां बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता
है। वहां हर विद्यार्थी में गजब का अनुशासन है। वहां मां बाप स्कूल छोड़ने
नहीं जाते हैं। वहां हर कदम पर पैरेंट्स खड़े होते हैं। इससे सभी
पैरेंट्स सभी बच्चों को समान ट्रीटमेंट देते हैं। यह सभी बच्चों के प्रति
समान व्यवहार की बात मेरे मन को छू गई है। वहां तकनीक का बहुत अधिक उपयोग
हो रहा है। वहां अनुशासन और स्वच्छता बहुत ही सहज है। सम्मान हरेक के
व्यवहार में नजर आता है। यह चीज संस्कारों से आती है।
* मैं भारत का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता हूं। (पूर्वोत्तर के एक छात्र का सवाल)
इस
पर नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2024 के चुनाव की तैयारी करो। इसका मतलब यह भी
है कि तब तक मुझे किसी तरह का खतरा नहीं है। भारत लोकतांत्रिक देश है। यदि
आप देश की जनता का विश्वास जीत सकते हैं, तो कोई भी बालक देश का
प्रधानमंत्री बन सकता है। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
*
लोग कहते हैं कि आप हैडमास्टर की तरह हैं, मगर आप वास्तविक जीवन में किस तरह के आदमी हैं? आप क्या हैं?
मैं
खुद तय नहीं कर सकता हूं कि मैं क्या हूं। मैं ऐसा आदमी हूं कि खुद भी काम
करता हूं और दूसरों से भी काम लेता हूं। मैंने अधिकारियों से भी कहा है कि
वे 12 घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे काम करूंगा।
* आपको हमारे जैसे छात्रों के बीच आने से क्या लाभ मिलता है?
लाभ
मिलता होता मैं नहीं आता। बहुत सारे काम ऐसे होते हैं जो लाभ के लिए नहीं
किए जाते हैं। लाभ के लिए जो काम होते हैं, उनमें बहुत आनंद आता है। मैं
पहली बार देख रहा हूं पूरे देश का मीडिया विद्यार्थियों की चर्चा कर रहा
है। मेरे लिए यही सबसे बड़ा लाभ है अन्यथा देश हमारे जैसे नेताओं के चेहरे
देखकर बोर हो गया था।
* क्या आपने बालक के रूप में सोचा है कि क्या आप देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और विश्व में प्रसिद्ध होंगे?
मैंने
ऐसा कभी नहीं सोचा। मैं तो कभी स्कूल में मॉनिटर का चुनाव भी नहीं लड़ा।
मैं बहुत ही छोटे परिवार से आता हूं। लेकिन, मैंने बड़ों से सीखा है, पढ़ा
है कि अति महत्वाकांक्षा बोझ बन जाती है। ज्यादा अच्छा हो कि आप कुछ बनने
के बजाय कुछ करने की सोचना चाहिए। इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
करते करते कुछ बन गए तो बन गए। करने का आनंद अलग है।
* गांधीनगर से दिल्ली आने के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं। क्या बदलाव आया है, आपके जीवन में?
मुझे
अभी दिल्ली देखने का समय नहीं मिला है। अभी घर से ऑफिस और ऑफिस से घर जाता
हूं। मैं अभी कोई बहुत बड़ा फर्क महसूस नहीं करता। मुख्यंमत्री से
प्रधानमंत्री बनने में विषयवस्तु बदलती है, दायरा बदलता मगर शेष कुछ नहीं
बदलता। उतना ही काम करना पड़ता, देर रात तक जागना पड़ता है। दिल्ली में
ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। मुख्यमंत्री रहने के कारण इस दायित्व को
समझने और निभाने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आई। मैं इसे सरलता से कर पाया।
* बच्चों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है।
* हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे विज्ञान और तकनीक से जुड़ें।
* जीवन में खेलकूद नहीं है तो जीवन खिलेगा नहीं।
* बच्चों को कोशिश करनी चाहिए कि दिन में चार बार पसीना निकलें, अर्थात वे शारीरिक श्रम करें।
* जीवन कंप्यूटर, किताब और टीवी में ही दबकर न रह जाए।
* महापुरुषों के जीवन चरित पढ़ने से हम इतिहास के करीब पहुंचते हैं।
* बड़े लोगों की जीवनी पढ़ने चाहिए।
* आगे बढ़ने वालों के इरादों में दम हो तो, उसे कोई भी परिस्थितियां उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीं। ऐसा मैं सोचता हूं।
* देश के इंजीनियर, डॉक्टर और अन्य अधिकारी सप्ताह में एक दिन बच्चों को जाकर पढ़ाएं या सिखाएं।
* हर किसी की शक्ति को जोड़ने की जरूरत है।
* सभी महापुरुषों के जीवन में शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है।
* जापान में शिक्षक और छात्र मिलका स्कूल की सफाई करते हैं। यहां भी ऐसा किया जा सकता है।
* जो पीढ़ियों के बारे में सोचते हैं वे इन्सान बोते हैं।
* जो बातें बच्चे मां बाप को नहीं बताते, वह शिक्षकों को बताते हैं।
* वैश्विक परिवेश में ऐसा माना जाता है कि सारे देश में अच्छे शिक्षकों की बहुत बड़ी मांग है।
* क्या भारत यह सपना नहीं दुनिया को नहीं दे सकता।
* शिक्षक के महत्व को समझे बिना समाज में बदलाव संभव नहीं।
* 18 लाख स्कूलों में मोदी का लाइव भाषण दिखाया जा रहा है।
* गांवों में शिक्षक सबसे आदरणीय होता है। इस स्थिति को फिर से लाने की जरूरत है।
* विद्यार्थी के लिए शिक्षक हीरो जैसा होता है। वे उनकी ही तरह करना चाहते हैं।
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हम जब तक शिक्षक की अहमियत स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक शिक्षक के प्रति
गौरव पैदा होगा न ही नई पीढ़ी के परिवर्तन में ज्यादा सफलता मिलेगी।
* हम इस बात को समझें कि हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व क्या है।
* मैं भारत के भावी सपनों के साथ बात कर रहा हूं।
* मेरे लिए सौभाग्य की घड़ी है कि मुझे देश के बच्चों से बातचीत का मौका मिला है।
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जापान का किस्सा
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मोदी
ने अपने भाषण में हाल में अपनी जापान यात्रा का एक किस्सा सुनाया.
उन्होंने बताया कि जापान में टीचर और स्टूडेंट मिलकर सफाई करते हैं.
हिंदुस्तान में ऐसा क्यों नहीं होता? हम इसे राष्ट्रीय चरित्र कैसे बनाएं,
इस पर विचार करना होगा.
मीडिया पर चुटकी
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मोदी
ने अपने इस भाषण में मीडिया पर चुटकी की. उन्होंने कहा, 'जब मैं गुजरात
में था तो एक बार टीवी चैनलों ने एक स्कूल में सफाई वाली खबर पर खूब बवाल
किया. मैं पूछता हूं कि इसमें बुराई क्या है, अगर बच्चों में स्कूल में
सफाई की.' हालांकि बाद में मोदी ने टीचर्स डे के इस कार्यक्रम के लगातार
कवरेज के लिए मीडिया का आभार भी व्यक्त किया.
अनुरोध
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पीएम
ने पढ़े लिखे लोगों से आग्रह किया कि वो निकट के एक स्कूल में बच्चों को
पढ़ाने के लिए सप्ताह में एक पीरियड लें. मोदी ने शिक्षकों से आग्रह किया
कि बच्चों को आधुनिक टेक्नोलॉजी की जानकारी दें.
कितनी बार निकलता है पसीना?
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मोदी
ने मानेकशॉ ऑडिटोरियम में मौजूद बच्चों से पूछा कि कितनों को दिन में चार
बार पसीना निकलता है? बच्चों को खूब मस्ती करना चाहिए, दौड़-धूप करना चाहिए
कि दिन में चार बार पसीना आए. किताब, टीवी, कम्प्यूटर के दायरे में जिंदगी
नहीं रहनी चाहिए.
जीवन चरित्र पढ़ने की सलाह
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मोदी
ने बच्चों को सलाह दी कि उन्हें नियमित किताबों के अलावा जीवन चरित्र जरूर
पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इससे हम इतिहास के बहुत करीब जाते हैं. हर
क्षेत्र के अग्रणी लोगों के जीवन चरित्र पढ़ने चाहिए.'
गूगल का जिक्र
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मोदी
ने कहा, 'आज कल हर काम गूगल गुरु करता है. कोई भी सवाल मन में आता है,
गूगल गुरु के पास चले जाते हैं. गूगल गुरु से जानकारी तो मिलती है, लेकिन
ज्ञान नहीं.' पीएम बनने के बाद संभलकर बोलना पड़ता है
सवाल-जवाब
राउंड शुरू हुआ तो एक बच्चे ने पूछा कि सीएम से पीएम बनने के बाद आपको
कैसा लगा? मोदी का जवाब था, 'दिल्ली में अभी घूमा ही कहां हूं. ऑफिस से घर,
घर से ऑफिस. ज्यादा बदलाव नहीं आया. इस दायित्व को संभालने में मुझे कोई
ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. पीएम बनने के बाद संभलकर बोलना होता है.'
एक
लड़की के सवाल पर मोदी ने कहा, 'मैं एक दिन पीएम बनूंगा, ये कभी नहीं सोचा
था. सपने देखने चाहिए, लेकिन कुछ बनने के बजाय, कुछ करने के सपने देखने
चाहिए. महत्वाकांक्षा जीवन में बोझ की तरह है.
इस सवाल पर
कि बच्चों से बातचीत से आपको क्या लाभ होगा, मोदी ने कहा, लाभ मिलता होता
तो नहीं आता. बहुत सारे काम होते हैं जो लाभ के लिए नहीं किए जाते. ऐसे काम
का आनंद अलग होता. लाभ के लिए काम करने वाले मुसीबत में फंस हो जाते हैं.
'2024 तक रहूंगा पीएम'
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वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इम्फाल से एक बच्चे ने मोदी पूछा, 'मैं कैसे देश
का पीएम बन सकता हूं.' इस पर मोदी का जवाब था, '2024 के चुनाव की तैयारी
करो. इसका मतलब हुआ कि तब तक मैं पीएम रहूंगा.' मोदी के इस जवाब पर खूब
ठहाके लगे.
शरारती बाल नरेंद्र के किस्से
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नरेंद्र
मोदी ने अपने बचपन के दिनों में की गई शरारतों का जिक्र करते हुए कहा कि
अगर कोई बालक शरारत न करे तो यह चिंता की बात है. उन्होंने अपने बचपन के
दिनों को याद करते हुए कहा कि जब किसी शादी में शहनाई बजती थी तो मोदी और
इनके कुछ साथी इमली लेकर जाते थे और शहनाई बजाने वाले के सामने इसे खाते
थे. इससे शहनाई बजाने वाले के मुंह में पानी आ जाता और उसे शहनाई बजाने में
दिक्कत होती थी.
एक और किस्से का जिक्र करते हुए मोदी ने
कहा, 'हम बचपन में किसी की शादी में चले जाते थे. कोई भी दो लोग खड़े होते
थे तो उनके कपड़े में स्टेपलर लगा देते थे.' मोदी के ये किस्से सुनकर
बच्चों ने खूब ठहाके लगाए.
बच्चों को दी भगवत गीता
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मानेकशॉ
ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में स्कूली बच्चे भी शामिल हुए. कुछ बच्चों
ने डॉ. राधाकृष्णन के संस्मरण सुनाए. इन बच्चों ने पीएम के पैर छुए और मोदी
ने इन्हें भगवत गीता भेंट की.
साभार-आजतक
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शिक्षक
दिवस के मौके पर स्कूली बच्चों से मुखातिब हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
से छात्र-छात्राओं ने तरह-तरह के सवाल पूछे। नरेंद्र मोदी से बच्चों का
पहला सवाल था, आपको प्रधानमंत्री बनकर कैसा लगता है? जवाब में मोदी ने कहा,
मुख्यमंत्री के रूप में मिला अनुभव काम आ रहा है। पीएम से बच्चों का दूसरा
सवाल था, आपके जीवन में शिक्षकों का ज़्यादा योगदान रहा, या अनुभवों का?
प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि मेरे लिए दोनों बेहद महत्वपूर्ण हैं।
नरेंद्र
मोदी से बच्चों का तीसरा सवाल रहा, क्या आपने बचपन में सोचा था,
प्रधानमंत्री बनेंगे, विश्वप्रसिद्ध होंगे... प्रधानमंत्री ने जवाब दिया,
कभी नहीं सोचा था कि पीएम बनूंगा, मैं तो क्लास में कभी मॉनिटर भी नहीं बन
पाया। हमें जीवन में कुछ बनने के नहीं, कुछ करने के सपने देखने चाहिए,
क्योंकि करते-करते कुछ बन गए तो बन गए, नहीं बने तो कोई बात नहीं। कुछ करने
का आनंद अपने आप में बहुत सुख देता है।
नरेंद्र मोदी से
बच्चों का चौथा सवाल, हम जैसे बच्चों से बातचीत कर आपको क्या लाभ मिलता है?
प्रधानमंत्री का जवाब, बहुत सारे काम होते हैं, जो लाभ के लिए नहीं किए
जाते और इसका अलग आनंद होता है। मैं मीडिया वालों का आभार व्यक्त करता हूं
कि उन्होंने बच्चों की इच्छाएं पूछीं।
मणिपुर के एक
बच्चे ने पीएम मोदी से पूछा, मैं देश का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता हूं?
प्रधानमंत्री यह सवाल सुनकर हंस पड़े और कहा कि 2024 के चुनाव की तैयारी
करो, शपथग्रहण में मुझे जरूर बुलाना...
पीएम से
बच्चों का अगला सवाल था कि जापान और भारत की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर
पाया? प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान में शिक्षण न के बराबर, लेकिन सीखना
शत-प्रतिशत होता है, वहां गज़ब का अनुशासन है। बच्चों ने मोदी से आठवां
सवाल किया कि आलसी, लेकिन होशियार बच्चे और मेहनती मंदबुद्धि बच्चे में आप
किस पर ध्यान देंगे? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि मैं टीचर होता, तो किसी
बच्चे से भेदभाव नहीं करता। कोई भी टीचर बच्चों से भेदभाव नहीं करता।
नरेंद्र
मोदी से बच्चों का नौवां सवाल था, क्या आपको अपने विद्यार्थी काल में की
गई शरारतें याद हैं? प्रधानमंत्री ने कहा कि बिना शरारत के बच्चों का विकास
रुक जाता है। उन्होंने कहा कि बचपन में वह खुद भी बहुत शरारती थे और
दोस्तों के साथ शहनाई बजाने वालों को इमली दिखाते थे, ताकि उसके मुंह में
पानी आ जाए और उसे शहनाई बजाने में दिक्कत हो। यही नहीं पीएम ने यह भी
बताया कि बचपन में वह शादी में आए महिला-पुरुष मेहमानों की पोशाकें स्टेपल
कर दिया करते थे।
नरेंद्र मोदी से बच्चों ने सवाल किया कि
जनजातीय इलाकों में लड़कियों की शिक्षा पर वह क्या कहेंगे? प्रधानमंत्री
ने कहा कि लड़कियों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। मेरा
ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि लड़कियां स्कूली पढ़ाई बीच में न छोड़ें,
सभी स्कूलों में शौचालय की पहल इसी प्रयास का हिस्सा है।
नरेंद्र
मोदी से बच्चों का ग्यारहवां सवाल था कि हम बच्चे देश के विकास में आपकी
क्या मदद कर सकते हैं? प्रधानमंत्री ने इसके जवाब में कहा कि देश की सेवा
करने के लिए जान देना या राजनेता बनना ही जरूरी नहीं है, बिजली बचाकर और एक
पौधा लगाकर भी देश की सेवा की जा सकती है। अगर आप लोग सफाई और अनुशासन
सीखेंगे, तो यह भी देशसेवा होगी।
जलवायु परिवर्तन से
जुड़े बच्चों के सवाल पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रकृति के प्रति लगाव
हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है, लेकिन बदलाव आया है। प्रकृति से प्यार
करो, अपनी आदतें बदलो, सब ठीक हो सकता है।
बच्चों ने पीएम
से पूछा, क्या आपकी नजर में राजनीति मुश्किल पेशा है? प्रधानमंत्री ने
कहा, राजनीति पेशा नहीं, सेवा है...मुझे सभी सवा सौ करोड़ भारतीय परिवार
लगते हैं, इसलिए सेवा करने से थकान नहीं होती। नरेंद्र मोदी से बच्चों का
चौदहवां सवाल था कि क्या वह सारे भारत को पढ़ाने का कोई कार्यक्रम लाएंगे?
पीएम ने कहा कि डिजिटल इंडिया और सभी भाषाओं में आधुनिक तकनीक उपलब्ध
करवाना उनका सपना है। उन्होंने बच्चों से कहा कि चाहे कॉमिक्स पढ़ें, लेकिन
पढ़ने की आदत डालें, पढ़ना सर्वश्रेष्ठ आदत है।
बच्चों
ने पीएम से पूछा कि बिजली बचाने में बच्चे कैसे मदद कर सकते हैं?
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिजली का संकट विश्वव्यापी है, इसलिए सबको मिलकर
सो, बिजली बचानी ही होगी। बच्चे भी जिम्मेदारी लेना सीखें और जब घर से
निकलें, याद से पंखा-बत्ती बंद करें। इसी तरह स्कूल से निकलते वक्त भी रोज
एक बच्चा यह जिम्मेदारी ले कि वह सभी बत्तियां, पंखे बंद करके आखिर में
निकलेगा।
इसके बाद बच्चों ने सवाल किया कि क्या उनकी
सरकार रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने को सोच रही है, जिस पर मोदी ने कहा
कि सारी दुनिया कौशल विकास पर ध्यान दे रही है और डिग्री के साथ-साथ कोई न
कोई हुनर होना बेहद जरूरी है, इसलिए स्किल डेवलपमेंट के उद्देश्य से हमारी
सरकार ने अलग विभाग भी बनाया है।
अंत में प्रधानमंत्री ने
सभी बच्चों से आग्रह किया कि वे हमेशा मुस्कुराते रहें, खेलते-कूदते रहें
और अपने भीतर के बच्चे को हमेशा ज़िन्दा रखें।